MAA 2025 Movie Review
माँ (2025) मूवी रिव्यू: काजोल की दहाड़ते काली अवतार में भव्य वापसी
🌟 फिल्म का सार: एक माँ जो बनी दैत्यों का संहार करने वाली काली
2025 की सबसे चर्चित हिंदी फिल्म “माँ” में काजोल एक ऐसी माँ “अम्बिका” की भूमिका में हैं, जो अपनी बेटी श्वेता (खेरिन शर्मा) को बंगाल के एक रहस्यमयी अभिशाप “अमसाज” नामक राक्षस से बचाने के लिए देवी काली का रूप धारण करती है। फिल्म की कहानी रक्तबीज नामक प्राचीन राक्षस के पुनर्जन्म के मिथक पर आधारित है, जिसकी एक बूंद खून से नया दैत्य पैदा होता है। यह अभिशाप डर, खून और विश्वासघात से जुड़ा हुआ है ।
🎬 जानिए फिल्म के बारे में अहम बातें:
पहलू | विवरण |
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रिलीज तिथि | 2025 (हाल ही में सिनेमाघरों में रिलीज़) |
शैली (जॉनर) | पौराणिक हॉरर थ्रिलर (2 घंटे 13 मिनट) |
निर्देशक | विशाल फुरिया (शैतान यूनिवर्स के लिए चर्चित) |
मुख्य कलाकार | काजोल, रोनित रॉय, खेरिन शर्मा |
आईएमडीबी रेटिंग | 7.2/10 ⭐ |
बुकमायशो रेटिंग | मिश्रित (2.3K रिव्यूज़) |
💫 कास्ट परफॉरमेंस: किसने मारा छक्का?
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काजोल (अम्बिका): उनका “मातृत्व का क्रोध” फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है। आँखों के भावों से पूरा दर्द बयां कर देने वाली उनकी एक्टिंग को समीक्षकों ने “सिनेमैटिक रिवेलेशन” बताया है। क्लाइमेक्स में काली का अवतार दर्शकों की रूह कंपा देता है ।
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रोनित रॉय: काजोल के साथ केमिस्ट्री अच्छी है, लेकिन बंगाली एक्सेंट को लेकर कुछ समीक्षकों ने आपत्ति जताई है।
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खेरिन शर्मा (श्वेता): युवा कलाकार ने औसत प्रदर्शन किया है। शैतान फिल्म की जनकी बोडीवाला जैसी ऊँचाईयाँ छूने में नाकाम रहीं ।
👍 पॉजिटिव पहलू (फिल्म की ताकत):
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विजुअल स्पेक्टेकल: राक्षस “अमसाज” का डिजाइन और काली के ट्रांसफॉर्मेशन सीन की VFX क्वालिटी भारतीय सिनेमा के नए मानक तय करती है। बजट के हिसाब से इफेक्ट्स शानदार हैं ।
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भावनात्मक ऊँचाई: “एक माँ की लड़ाई” का कॉन्सेप्ट दिल को छू लेता है। क्लाइमेक्स में अम्बिका का हीरोइक आर्क दर्शकों को खड़े होकर ताली बजाने पर मजबूर करता है ।
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मिड-क्रेडिट ट्विस्ट: फिल्म के अंत में एक सरप्राइज सीक्वल की संभावना जताता है, जिसने कई दर्शकों को हैरान कर दिया ।
👎 नेगेटिव पहलू (कमजोरियाँ):
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पहले हाफ की सुस्ती: कहानी को गति पकड़ने में 1 घंटे से ज्यादा वक्त लगता है। कई दर्शकों ने इसे “रोजाना के सोप ओपेरा जैसा” बताया ।
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ग़ज़बझप्पी संवाद: बंगाली परिवार होने के बावजूद कलाकार हिंदी और बंगाली के बीच उलझे रहते हैं, जिससे आत्मीयता टूटती है ।
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भूलने वाला म्यूजिक: पुराने गानों को नॉस्टेल्जिया भुनाने की कोशिश नाकाम रही। नए ट्रैक्स सिर्फ “रनटाइम फिलर” लगते हैं ।
🎭 दर्शकों और आलोचकों की राय (रिव्यूज का सार):
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बुकमायशो पर 2.3K रिव्यूज़ के विश्लेषण से पता चलता है कि 45% दर्शकों ने इसे “ब्लॉकबस्टर” और “शानदार एक्टिंग” का दर्जा दिया, जबकि 30% ने “एक बार देखने लायक” और 25% ने “निराशाजनक” बताया ।
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याहू एंटरटेनमेंट के मुताबिक, फिल्म शैतान यूनिवर्स से जोड़ने के दावों में विफल रही। दोनों फिल्मों में सिर्फ “बेटी को बचाने वाले माता-पिता” का कॉमन थीम है 1।
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IMDB रिव्यू: “काजोल के कैरियर की सबसे ताकतवर परफॉरमेंस… लेकिन कहानी में तर्कहीनता निराश करती है” ।
🎬 निष्कर्ष: थिएटर जाएँ या ओटीटी का इंतज़ार करें?
“माँ” एक द्विअर्थी फिल्म है जो काजोल के जलवे और VFX के दम पर चमकती है, लेकिन कमजोर पटकथा और धार्मिक स्टीरियोटाइप्स से जूझती है। अगर आप मिथकों पर आधारित हॉरर थ्रिलर्स के शौकीन हैं, तो यह फिल्म सिनेमाघर में देखने लायक है। वरना 42 दिन बाद OTT रिलीज का इंतज़ार समझदारी होगी ।
⭐ फाइनल वर्ड: “माँ की ममता को सुपरपावर बनाने का दिलचस्प प्रयोग… पर विशाल फुरिया अब भी ‘लापछापी’ का जादू दोहराने में नाकाम!” 1
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs):
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क्या “माँ” फिल्म ओटीटी पर उपलब्ध है?
नहीं, अभी सिर्फ सिनेमाघरों में ही रिलीज़ है। ओटीटी पर रिलीज होने में अभी 42 दिन और लग सकते हैं 1। -
फिल्म किस उम्र के दर्शकों के लिए उपयुक्त है?
A (वयस्क) सर्टिफिकेट मिला है। डरावने सीन्स और हिंसक दृश्यों के कारण बच्चों के लिए अनुपयुक्त 14। -
क्या यह शैतान फिल्म सीरीज का हिस्सा है?
निर्माताओं ने इसे शैतान यूनिवर्स से जोड़ा था, लेकिन कहानी में कोई सीधा कनेक्शन नहीं है 1। -
फिल्म का संगीत यादगार है?
ज्यादातर समीक्षाओं के अनुसार, गाने भुला दिए जाने वाले हैं और सिर्फ रनटाइम बढ़ाने के लिए डाले गए हैं 1।